कंगन, चूड़ी और पायल की,
झनकार बजी बाजारों में,
चंदन-हल्दी की खुशबू भी,
महक रही गलियारों में।
गोल रसीले लड्डू भी,
मचल रहे हैं कोने में,
भाभी छोटी मस्त पड़ी है,
काले केसू धोने में।
चाँदी के चमकीले बर्तन,
संदूकों से मुक्त हुए,
रंग बिरंगी दीवारों से,
कुछ पंक्षी उन्मुक्त हुए।
माँ की आँखों में अश्रु,
पिता याद में डूब चुके,
अब तो नयनों के अश्रु भी,
आँखों में ही सूख चुके।
स्वर्ण आभूषण संरक्षित है,
स्वर्णकार के द्वार में,
माँग टीका भी दिया किसी ने,
बेटी को उपहार में।
नयनों की तीखी पंक्ति,
अब और भी तीखी लगती है,
कभी पलकें धीरे-धीरे तो,
कभी पलकें तेज झपकती हैं।
पिया के यादों में डूबी,
दुल्हन की हँसी अति शोभित है,
नयनों में खोए फौजी बाबू,
हँसते हैं और मोहित हैं
अब बीस दिनों के बाद ही,
ब्याह की खुशी मिल जाएगी,
यम भी ऐसा भूल चुके थे,
पिया लाश अब आएगी।
टूट चुके दुल्हन के सपने,
तोड़ सके ना अखंड प्यार को,
मेरा फौजी मर मिटा,
भारत माता के उद्धार को।
बोला था मैंने उसको,
तुम मुझसे ही अब प्यार करो,
मैं ही भारत माता हूँ,
तुम मेरा ही श्रृंगार करो।
कुछ देहाती बैठे है,
जो मुफ्त की रोटी तोड़ रहे,
फिर तुम क्यों भारत माँ के,
पीछे अपना माथा फोड़ रहे।
बंदूक की गोली चलती भी तो,
नेताओं की बोली से,
लहू की रक्तिम धारा बहती,
बस फौजी की झोली से।
बोला था उसने मुझको,
अब कैसे तुझसे प्यार करूँ,
भारत माता लहू में डूबी,
कैसे तेरा श्रृंगार करूँ।
तू राग मेरे हृदय की है,
पर भारत माता धड़कन है,
वो ही मेरी जान जिंदगी,
उस पर ही सब अर्पण है।
मैं आऊँ या ना आऊँ,
मेरी वर्दी फिर भी आएगी,
वो ही मेरी शौर्य कहानी,
तुझ पगली को बतलाएगी।
बोल उठी उसकी वर्दी,
वो मरा नहीं शहीद हुआ,
भारत माँ के अखंड प्यार में,
तेरे लिए मुरीद हुआ।
कंगन चूड़ी और पायल की,
हाहाकार मची जग तारों में,
चंदन हल्दी की खुशबू भी,
दहक रही अंगारो में।